"आंटी, ज़रा अमित को भेजना।" मैंने हमारे पड़ोस में रहने वाले मेरे स्कूल के दोस्त अमित की मम्मी से कहा.
"अमित! बेटा वो तो ट्यूशन गया हैं. रात को 8 बजे तक लौटेगा. तब भेज दूंगी तुम्हारे घर."
अमित की मम्मी के जवाब को मैं पूरा सुन पाता कि पड़ोस में रहने वाले मिश्रा अंकल भी वहाँ आ धमके. बोलने लगे मेरा बेटा सुनील भी पूरे दिन ट्यूशन में ही लगा रहता हैं. करे भी क्या? कम्पटीशन ही इतना हैं.
मुझे वहा क्रिकेट बैट के साथ देखकर हैरानियत से भरे मिश्रा अंकल मुझसे बोले "रवि तुमने ट्यूशन जाना शुरू नहीं किया? तुम भी तो दसवीं में आ गए हो न."
"पर अंकल अभी तो गर्मी की छुट्टियां हैं न." मेरे बेबाकी भरे जवाब से अमित की मम्मी और मिश्रा अंकल सकते में आ गए. उससे पहले कि वो कुछ सवाल कर पाते कि मैं वहा से निकल लिया.
मैंने सोचा कि परसो ही तो परीक्षाएं ख़त्म हुई हैं और आज सभी ट्यूशन की ओर भी चल पड़े हैं. सोचा कि घनश्याम तो जरूर अपनी दुकान पर ही होगा और वो खेलने के लिए मना भी नहीं करेगा. घनश्याम के पापा की साईकिल के पंक्चर ठीक करने की एक दूकान थी. वो सरकारी स्कूल में पढता था.
"अंकल नमस्ते. घनश्याम कहीं दिखाई नहीं दे रहा." मैंने घनश्याम की दुकान पर पहुंचकर उसके पापा से उसके बारे में पूछा।
"बेटा वो तो ट्यूशन गया हैं. तुम्हे तो पता ही हैं कि दसवीं की क्या एहमियत हैं और सरकारी स्कूल में पढाई तो होती हैं नहीं. पिछले तीन सालो से पैसे जोड़ रहे थे कि वो शहर के सबसे अच्छे ट्यूशन में जा सके. देखो ना अभी 2 दिन ही हुए हैं ट्यूशन शुरू हुए और सारे batches में छात्रों की संख्या 100 से ऊपर पहुंच गयी हैं. वैसे तुम्हारा ट्यूशन शाम को नहीं हैं?" घनश्याम के पापा तो मिश्रा अंकल और अमित की मम्मी से दस कदम आगे थे.
"हाँ अंकल, मैं ट्यूशन सुबह ही हो आता हूँ." मेरे पास झूठ बोलने के अलावा कोई और चारा नहीं था. मैं वहा से भी खिसक लिया.
मैं घर इतनी जल्दी लौट नहीं सकता था नहीं तो मम्मी पापा अचम्भा करते कि परीक्षाओ में गर्मी की छुट्टी की बाट देखने वाला बच्चा इतनी जल्दी खेल कर भी आ गया. मैंने सोचा की मैदान में जाकर ही बैठ जाता हूँ. फिर 1-2 घंटे में घर चला जाऊंगा.
वहां पहुँचा तो देखा राकेश अकेला खड़ा हैं. मैं दौड़कर उसके पास गया.
"अरे राकेश तू यहाँ अकेला क्या कर रहा हैं? तू ट्यूशन नहीं गया?" मैं राकेश को देखकर बहुत खुश था फिर भी उस बहुचर्चित सवाल पूछने से खुद को रोक नहीं पाया.
"नहीं भाई, मैं ट्यूशन नहीं जाने वाला."
उसके आधे ही जवाब पर उत्साहित होकर मैं बोल पड़ा "सही बोल रहा हैं यार तू. अभी तो गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं और वैसे भी 2 ही दिन तो हुए हैं परीक्षाएं ख़त्म हुए. पूरा साल पड़ा हैं ट्यूशन करने को.
"अरे सुन तो. मैं परसो कोटा जा रहा हूँ तीन सालो के लिए." राकेश ने मेरे सारे उत्साह को ठंडा कर दिया.
मैंने राकेश से पूछा कि ट्यूशन का कोटा से क्या लेना देना. मुझे तो सिर्फ इतना पता था कि कोटा में मेरी बुआ रहती हैं.
फिर उसने मुझे कोटा की असलियत से परिचय करवाया.
"देख भाई, यहाँ रहकर पहले स्कूल जाओ और 7 घंटे बर्बाद करो, फिर हर विषय का 1 -1 घण्टे का ट्यूशन. तू ही बता फिर समय ही कहा मिलेगा पढ़ने का ?"
मैं तो उसकी हर बात पर सिर्फ सर हिला रहा था.
राकेश अपनी बात को और गहराई से समझाने लगा " कोटा में एक कोचिंग सेण्टर हैं. वहा जाकर दाखिला लेने पर स्कूल जाने की जरुरत नहीं हैं. कोचिंग सेण्टर IIT की तैयारी कराते हैं."
"भाई यह IIT क्या होता हैं?" मेरा उत्साह मर गया था पर फिर जिज्ञासा ने जन्म लिया.
"IIT बहुत बड़ा कॉलेज होता हैं और वहा पढ़कर लोग अमेरिका जाते हैं नौकरी करने." राकेश बोला।
"अमेरिका! वाह यार. राकेश एक बात बता, तुझे यह सब किसने बताया?" मेरी जिज्ञासा अब बढ़ रही थी.
"यार 10 साल पहले मेरे मौसाजी का बेटा गया था कोटा. आज वो अमेरिका में हैं. चल यार अब मैं चलता हैं काफी देर हो गयी हैं. " कहकर राकेश चला गया.
रास्ते भर राकेश की कही बात मेरे कानो में गूँज रही थी.
घर आया और आते ही अपने पापा से कहा " पापा, मुझे कोटा जाना हैं. वहा से सीधे IIT में जाऊँगा."
पापा ने कोटा और IIT के बारे में शायद थोड़ा बहुत सुन रखा था. पापा कुछ बोल पाते कि मम्मी बोली " देखो मैं नहीं कहती थी कि रवि का बड़े होकर पढाई में अपने आप ही मन लग जाएगा. आप वैसे ही उसको ताने मारते रहते थे." हालाँकि मम्मी भी कोटा के बारे में इससे ज्यादा नहीं जानती थी कि वहा मेरी बुआ रहती हैं
Awesome 😊
ReplyDeleteApne din yaad kr rha h tu.😜
ReplyDeletetere din aisey nahin they kya?
DeleteHello Saurabh vijay hows life there in Germany? And what is the procedure to go there?
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